“कुलदेवी का आशीर्वाद क्यों जरूरी हैं ?”

“कुलदेवी का आशीर्वाद क्यों जरूरी हैं ?”

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  • 05/28/23

“कुलदेवी का आशीर्वाद क्यों जरूरी हैं ?”

एक भूल जो हम जाने अनजाने कर रहे है उसे सुधारे 

🙏🏻🙏🏻 नमो नमो कुलदेवी नमो
कुल की तारणहार
कर जोड़ विनती करुं ,रखो कुल की लाज
तुम बिन सिद्ध न होय ,कुल का कोई काज़
नमो नमो कुलदेवी नमो 🙏🏻🙏🏻

इस विषय को समझते वक़्त सभी साधना , कुण्डलिनी , श्रीविद्या , दसमहाविद्या जो भी कोई साधना आप कर रहे हो , सब एक तरफ रखें ।

क्योंकि कुलदेवी की कृपा का अर्थ है , सौ सुनार की एक लोहार की , इसके बिना वंश आगे नहीं बढ़ सकता हमारे कुल को संसार में आज तक क़ायम रखने के लिए हमें कुल देवी का सदैव सदैव आभारी होना चाहिए ।कुल देवी ही हैं, जो हमारे वंश को सुरक्षित रखती है।हम भावुक होकर अथवा आकर्षित होकर कई साधनाए तो करते हैं , पर वो जानते नहीं की जब आप अपनी कुलदेवी को पुकारे बिना किसी भी देवी देवता की साधना करते हो , वो साधना कभी सफल नहीं होती ।

*कई जगहों पर आज भी कुछ परंपरा हैं , घर के पूजा घर में कुलदेवी के रूप में सुपारी अथवा प्रतिमा का पूजन करना , घर से बहार लंबी यात्रा हो तो कुलदेवी को पहले कहना , साल में दो बार कुलदेवी पर लघुरूद्र अथवा नवचंडी करना …… यह सब आज भी हैं । हर घर की एक कुलदेवी होती हैं । 60% परिवार अपनी कुलदेवी को नहीं जानते । कुछ परिवार बहुत पीढ़ियों से कुलदेवी का नाम तक नहीं जानते ।

•इसके कारण , एक निगेटिव दबाव उस घर के कुल के ऊपर बन जाता हैं और अनुवांशिक प्रॉब्लम पैदा होती हैं ।*

•कुलदेवी की कृपा के बिना अनुवांशिक बीमारी पीढ़ी में आती है , एक ही बीमारी के लक्षण सभी लोगो को दिखते हैं।

•मनासिक विकृतियाँ अथवा स्ट्रेस पूरे परिवार में आना।

•कुछ परिवार एय्याशी की ओर इतने जाते है कि सबकुछ गवा देते हैं ।

•बच्चे भी गलत मार्ग पर भटक जाते हैं।

•शिक्षा में अड़चनें आती है।

• किसी परिवार में सभी बच्चे अच्छे पढ़ते हैं फिरभी जॉब ठीक नहीं मिलती।

•कभी तो किसीके पास पैसा बहुत होता है पर मनासिक समाधान नहीं होता।

• यात्राओं में अपघात होते है अथवा अधूरी यात्रा होती हैं ।

•बिजनेस में भी ग्राहक पर प्रभाव नहीं बनता अथवा आवश्यक स्थिरता नहीं आती ।

यह सब परेशानी आप किसी हीलिंग अथवा किसी ध्यान अथवा किसी दसमहाविद्या के मंत्रो से दूर नहीं कर सकते ।

बल्कि , अगर और अंदर कहूँ तो कोई भी दसमहाविद्या की दीक्षा में सबसे पहले गुरु उस साधक की कुलदेवी का जागरण करवाने की दीक्षा अथवा साधन पहले देता हैं ।

इसलिए , कोई भी महाविद्या ,जप,तप साधना करने से पहले अपनी कुलदेवी को पुकारो ।अपनी कुलदेवी को याद करना हमारा परम धर्म है ,परम कर्तव्य है ।इसके प्रति कोई लापरवाही कोई भूल कदापि न करें ।कुलदेवी का सदैव सदैव स्मरण करें ।आपका इष्ट भले ही कुछ भी हो ,आपकी साधना कुछ भी हो, पर कुलदेवी का स्मरण कुलदेवी के प्रति आस्था हमारा कर्तव्य है।

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